Wednesday, April 1, 2015

जीवन क्या है.........

जीवन क्या है.........
जन्म मरण के बीच का अंतराल,
या हर पल मे बीता काल ।
जो क्षणभगुर था तो क्या जिया, वो  लम्हा तो बस बिखर गया।
वो बीते पल उनकी कहानी, उनकी वेदना, उनकी रवानी,
उनका बीतना, उनका ठ्हरना,
उनका मुस्कुराना, उनका रुलाना ...
ये जीवन क्या है...

इठ्लाते पलों में बीते दिन – बचपन,
कौतूहल भरे, अवचेतन
नानी, दादी की कहानियों के दिन,
उनींदीं आखों से तारे गिनते, सपने देखने के दिन ।
कब बीत गये ज्ञात नही।

चेतन मन का एह्सास कापी किताबों में
भाग कर बसों में लट्कते, लम्बी कतारों में, इंतज़ार में,
स्नातक की परिक्षाओ मे प‍रिणामों में,
यौवन के एह्सास में, फिर नौकरी की तलाश में
जीवन क्या है....|

नवचेतना जगी मन में
एक बार फिर नयी तरंगें नयी उमंगें  
संचरित हो उठी प्रेम के एह्सास में
एकल मन भाव विह्रल हो गुनगुनाने
लगा नये सपने सजाने परिणय के पाश में
जीवन क्या है....

ज़िन्दगी की सच्चाइयों में,
वयस्क मन की परिकल्पनओं में
कुछ बनते कुछ बिगड्ते रिश्तों में
कुछ खोने कुछ पाने में,
ज़िंदगी के पन्नों को धारावाहिक की तरह
विश्रंख्लाओं में समझने में
जीवन क्या है..   
                                  
संरचना- मीना संघी

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