आज मेरा मन उदास है
किससे कहूँ?
नहीं कोई आस-पास है
किससे कहूँ?
किससे कहूँ?
नहीं कोई आस-पास है
किससे कहूँ?
इस सूनेपन को
एकाकी मन को
इन सन्नाटों को
अनकही बातों को
इन अंधेरों को
दुखों के घेरों को
इस गहराती रात को
अपने मन की बात को
किससे कहूँ?
एकाकी मन को
इन सन्नाटों को
अनकही बातों को
इन अंधेरों को
दुखों के घेरों को
इस गहराती रात को
अपने मन की बात को
किससे कहूँ?
आज मेरा मन उदास है
किससे कहूँ?
नहीं कोई आस-पास है
किससे कहूँ?
किससे कहूँ?
नहीं कोई आस-पास है
किससे कहूँ?
By Lalit Kumar
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